*स्तंभ - १९३/२०२३*

*# भीलवाड़ा शहर विधानसभा चुनाव -२०२३ #*

*क्या आंकड़े भी चीखते है ???*
*बात अजीब है लेकिन १०० टका सत्य है आप भी पक्का यकीन करेंगे ...*

*भीलवाड़ा में यह पहला चुनाव था जब मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो गया था ....*

*क्योंकि विचार परिवार के ही एक व्यक्ति ने पार्टी एवं एक नारी नेत्री का वफादार सिपहसालार बनने के चक्कर में ...... अपने लघु नागपुर भीलवाड़ा को ढहाने की जिद्द पाल बैठी ....*

*चुनाव के आखिरी चरण में जब ...... जी को असली भान प्राप्त हुआ कि परिवार के कुछ समर्थक जो उनसे जुड़ रहे थे वापस से परिवार मेंं जा रहे है तो उन्होंने बिना देरी के जातिवाद का इंजेक्शन देना प्रारंभ कर दिया एक एक व्यक्ति को फोन कर कर के दुहाई दी  इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के समर्थक जाति विशेष के बंधुओ ने वोटो में कंजूसी कर ली...इसके अलावा कांग्रेस के वोट बैंक में अन्य हिंदुओ को भी साधना चालू कर दिया...*

*नतीजा लगभग ३७ हजार वोट में से कम से कम १६  हजार वोट पार्टी समर्थक समाज विशेष ने ही  दिए ....इसी के साथ जमानत बचाने के चक्कर में चादर और फादर के फेरे लगाने शुरू कर दिए ...चादर वालो ने जोर शोर से अपने क्षेत्र में स्वागत किया और हजारों वोट से जितवाने का संकल्प लिया ...नतीजा आप देखे कि उन समुदाय विशेष के लगभग  १४ बूथों में कुल मतदान का क्या हुआ जिसमे ...... जी को मात्र  ....*

*ये आंकड़े चीख चीख कर कह रहे है की .... जी को सोच समझकर विरोधी पार्टी ने पालकी पर बैठाया था बस ये  भूल गए थे कि उनकी नाव में चादर और फादर वालों के अलावा भी लोग है जो इनको उंगली दिखा सकते है...*

*अब आप भी समझ सकते है की हिंदू चाहे भाजपा का हो या कांग्रेस का वह पलटी मार सकता है लेकिन चादर वाले किसी भी हालत में नही  बदलते है....* 

*लेकिन भीलवाड़ा ठहरा लघु नागपुर । परिणाम सबके सामने हैं बताने की आवश्यकता नहीं है । हमारे भीलवाड़ा मे दस हजार ऐसे संगठन निष्ठ स्टार प्रचारक है जो किसी को भी विजय श्री दिलाने का मादा रखते हैं इसलिए बिना किसी स्टार प्रचारक के भीलवाड़ा में वह काम हो गया जो बड़े-बड़े स्टार प्रचारक भी नहीं कर सकते हैं ।*

*कमी हमारे में नही है ना ही विचारधारा में और राष्ट्रवाद की भावना में है ...कमी है व्यक्ति की जड़ों में जो संगठन को नकार देते है जो हिंदुत्व को वोट बैंक का बहाना मानते है उन हिंदुओ के लिए ना राष्ट्रवाद मायने रखता है और ना विचारधारा ....इनके लिए जाति धर्म से ज्यादा स्वहित जनहित से ज्यादा मायने रखता है ये समय आने पर अपने घर को जलाकर खुश रहने का सपना देखते है ये वो लोग है जो विभिन्न अवसरों पर अपने मुखौटे बदलते रहते है जैसे चुनाव के दौरान छिप छिप कर पार्टी विशेष के लिए सीटी बजा रहे थे और यही लोग जीत की छोटी रैली में भी विचार परिवार जिंदाबाद , जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे ...*

*वन्दे भारत मातरम् ...🙏*

Comments

Popular posts from this blog