स्तम्भ - १६/२०२५

*ऑपरेशन सिंदूर -*

भारत में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला 26/11 था जब पाकिस्तान से आए आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की धरती पर मौत, दहशत का खूनी खेल खेला था। 

इस हमले सैकड़ों भारतीय और विदेशी नागरिक मारे गए थे, तब केंद्र और राज्य दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी। पूरा देश और सेना आक्रोश में थी, सेना इस हमले का बदला लेना चाहती थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सेना को ऐसा कोई आदेश नहीं दिया।

वैसे भी मनमोहन सिंह एक कठपुतली प्रधानमंत्री थे जिन्हें अपनी मैडम से जो आदेश प्राप्त होता था वो केवल उतना ही करते थे क्योंकि वो देश के प्रधानमंत्री कम मैडम के सेवादार ज़्यादा थे। कांग्रेस बस कड़ी निंदा और डोज़ियर पे डोज़ियर भेजने का खेल खेलती रही लेकिन पाकिस्तान पर हमला तो दूर एक गोली तक नहीं चलाई उल्टे तब कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ मिलकर इस हमले को आरएसएस का षड्यंत्र बताने में देरी नहीं की। कांग्रेस ने सुशील शिंदे और पी चिदंबरम के माध्यम से देश की संसद से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की निंदा करने की बजाय इसे भगवा आतंकवाद का रूप देने का घिनौना काम किया।

अगर कसाब ज़िंदा ना पकड़ा जाता तो शायद कांग्रेस अपने इकोसिस्टम के माध्यम से देश में ये नैरेटिव सेट भी कर देती कि ये आतंकी हमला पाकिस्तान ने नहीं किया है।

भाजपा को कहीं फायदा ना मिल जाए इस डर से मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान पर हमला नहीं किया जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया था बल्कि ये तक कहा था कि अगर पाकिस्तान ऐसा ही हमला एक बार और कर देता तब वो पाकिस्तान पर हमला कर देते?

यानि इतने सारे निर्दोष देशी विदेशी नागरिकों, सैनिकों, कमांडोज़ के मारे जाने का कोई दुःख मनमोहन सिंह या कांग्रेस को नहीं था बल्कि वो इसी तरह के एक और आतंकी हमले की राह देख रहे थे पाकिस्तान पर हमला करने के लिए, कितनी निर्लज्जता और नीचता से भरा ये बयान था।

मोदी सरकार के आने के बाद से पहलगाम आतंकी हमला आम नागरिकों पर पहला बड़ा हमला था, जहाँ पुरुषों को उनकी पत्नियों और बच्चों के सामने उनका धर्म पूछकर, कलमा पढ़वाकर मार दिया गया और रोती बिलखती महिलाओं से कहा - "जाकर बता देना मोदी को"

अति आत्मविश्वास से भरे आतंकियों ने अपनी कायराना हरकत कर दी साथ ही भारत के प्रधानमंत्री को भी चुनौती दे डाली।

देश फिर एक बार आक्रोश से भर उठा, जहाँ अधिकांश लोगों को ये विश्वास था कि सरकार इसका बदला ज़रूर लेगी वहीं कोई मज़ाक उड़ा रहा था, किसी को विश्वास नहीं था और सबसे बड़े दोगले वो कांग्रेसी और विपक्ष के तमाम नेता और समर्थक थे जो हर आतंकी हमले को सरकार का ही षड्यंत्र बताते और 26/11 जैसे हमले के बावजूद कुछ ना करने वाले यही दोगले मोदी सरकार से पूछते कि कब कार्रवाई करोगे।

लेकिन जो मोदी उरी और पुलवामा हमले का बदला ले चुके थे वो इतने बड़े नागरिक हमले के बाद कैसे चुप बैठ सकते थे। बैठकों का दौर शुरू हुआ, सेना को खुली छूट दी गई और मोदी हर बार की तरह दैनिक कार्यक्रमों में व्यस्त हो गए और सबको ये भ्रम होने लगा कि सरकार कुछ नहीं करेगी।

आज सुबह जैसे ही लोग उठे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब खबर आई कि भारत की वीर सेनाओं ने "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया।

इसमें सबसे विशेष बात ये रही कि भारत के कई परिवारों को उजाड़ने वाले मोस्ट वांटेड आतंकी अज़हर मसूद के पूरे परिवार का खतम होना। एक ही हमले में में उसका परिवार उजड़ गया और उसे एहसास हुआ कि जिस आग से वो खेल रहा था उसने उसी का घर तबाह कर दिया है। 

पाकिस्तान और भारत में बैठे उसके कुछ चहेतों को तकलीफ हो रही है कि सिविलियन्स को भी मार दिया है तो पहलगाम में जिन्हें मारा था वो क्या सैनिक थे? 

भारत के अधिकांश विपक्षी नेताओं ने अपने ट्वीट्स में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है क्योंकि इन सबके दिलों में पाकिस्तान बसता है, इस बार सबूत भी नहीं माँगे हैं, सेना की तारीफ की हैं लेकिन सरकार की बिलकुल भी नहीं।

ऑपरेशन सिंदूर जवाब है उन सभी आतंकियों को, पाकिस्तान को और भारत में बैठे उनके चहेतों को कि ये नया भारत है - जो घर में घुसकर मारता है इसलिए अब इसकी तरफ आँख उठाकर मत देखना।

ताकि सनद रहे और वक़्त ज़रूरत काम आवै..

जय जय भारत ...

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