*स्तंभ - १९९/२०२३*
एक ही झटके में विपक्ष की सारी तैयारियों को पलीता लगाकर कैसे उड़ा दिया जाए , यह तकनीकी कोई शाह मोदी से सीखे । जाति जनगणना के गेम को फुस्स करते हुए पहले तो देश में युवा जाति , नारी जाति , कृषक जाति और गरीबी जाति के रूप में देश में चार जातियाँ गिनाकर जाति जनगणना को हवा में उड़ा दिया । और अब एमपी , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सोशल केमिस्ट्री का फार्मूला तैयार कर विपक्ष के जातीय गेम को मटियामेट कर दिया ।
मतलब हर राज्य के तीन मुख्यमंत्रियों का आदिवासी , ओबीसी और ब्राह्मण कार्ड । साथ ही प्रत्येक राज्य में एक एक ब्राह्मण और एक एक दलित उप मुख्यमंत्री , ओबीसी और राजपूत उप मुख्यमंत्री । मतलब तीनों राज्यों में सवर्ण , दलित , राजपूत और पिछड़ों की ऐसी गोलबंदी की जाति जनगणना कराने वाले विपक्षी दल पसीना पसीना । तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर मीडिया की तमाम चकल्लस उसी तरह धरी रह गई , जैसे एग्जिट पोल ।
संगठन से आए अति सामान्य कार्यकर्ता को शिखर पर बैठाकर भविष्य के लिए भाजपा की लीडरशिप कैसे तैयार की जाए , यह भी कोई बीजेपी की आलाकमान से सीखे । कमाल की बात है कि जिस समय तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार आना इंडिया गठबंधन तय माने बैठा था , बीजेपी वहां भविष्य की सोशल इंजीनियरिंग तैयार करने में जुटी थी । कोई चाहे कितना भी नकारे , पर यह सच है कि तमाम सर्वे , तमाम ओपिनियन और तमाम विशेषज्ञ तीन हिंदी भाषी राज्यों का गणित पढ़ने में विफल रहे । तब से विपक्ष में ऐसा सन्नाटा पसर गया है कि कोई नेता बयान तक देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है ।
तो अप्रैल मई 2024 में क्या करना है , भाजपा ने तय कर लिया है । देखा जाए तो आम चुनाव के लिए बस तीन महीने बीच में हैं , मार्च में अधिसूचना जारी हो जाएगी । भाजपा काफी उत्साह में है । अब इंडिया गठबंधन यदि सचमुच गंभीर है तो उसे गाली गलौच छोड़कर एक नेता चुनना होगा तथा सीट तालमेल करना होगा । यह काम सबसे मुश्किल है । बिना किसी ठोस काम किए इंडिया गठबंधन की दाल उत्तर , मध्य और पश्चिमी राज्यों में गलना एकदम असंभव है । इसके लिए विपक्षी नेताओं को अपने अहंकार त्यागने होंगे जो उनके लिए नामुमकिन है ।
वन्दे भारत मातरम् ... 🙏
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