स्तम्भ - 192/2023
हम फिर आयेंगे .....
रामायण का एक पात्र था संपाती.... गिद्ध राज जटायु का बड़ा भाई था ये...
अब हुआ ये कि जब माता सीता क़ी खोज के लिए चारों दिशाओं में वनार राज सुग्रीव ने खोजी वानर दल रवाना किये तो जो दल दक्षिण की ओर गया उसका नेतृत्व कर रहे थे जामवंत जी....
और ये दल सदूर दक्कन के अंतिम छोर पर बियाबान समुद्र तट पर जाकर अटक गया....
न तो आगे जाने का मार्ग था न वहाँ ठहर कोई जुगत बनाने की स्थिति.... वानर दल सर से सर भिड़ा सोच में डूबा था के क्या करे.... भूँख प्यास से बेहाल.... न पीने को पानी न खाने को फल अनाज
और न समुद्र पार जाकर सीता माता का सुराग लगाने का साधन...
बिना लंका में खोज बीन लौट न सकते थे.... और हालात बिगड़ रहे थे...
दूर पहाड़ी की एक ऊँची कुटेर में बैठा #संपाती सब देख रहा था और ख़ुश हो रहा था.... बूढा संपाती शिकार योग्य न रहा था.... भोजन पाने को उड़ान लायक पँख न बचे थे, देह शक्तिहीन थी....
तो ये निराश और हताश वानर दल संपाती के लिए अवसर था..... कब भुख प्यास से एक एक वानर मरना शुरू हो..... और कब उन्हें नौच खा संपाती अपनी भूँख मिटाये...
संपाती बस ऐसी ही भूँखी नज़रों से इन्ह ताक रहा था...
ठीक संपाती सी ही भूँखी नज़रों से पिछले कई दिनों से भारत का एक बड़ा वर्ग उस सुरंग में फसे मज़दूरों को देख रहा था....
पूरा विपक्ष, सामंती सोच वाले पोंगे, वामपंथी..
सब के सब बस #गिद्ध_सी_आँख_गढ़ाये थे.... कब उन मज़दूरों को लेकर बुरी सूचना आये और कब ये अपनी कुंठा, अपनी राजनीति की भूँख मिटाएं... उनके शव नौच नौच कर खाएं और जश्न मनायें ।
पर पुरानी कहावत है "कसाई के कोसने से बछड़े नहीं मरते" इस गिद्ध कसाईयों के कोसने पर इस देश भर के सहृदय लोगों की प्रार्थना और सरकार का प्रयास भारी रहा..... सभी मज़दूर सकुशल बचा लिए गए....
अब चंद्रयान 4 को भेजने का रास्ता भी साफ हो गया.... अन्यथा योजना खटाई में थी...
कुछ छापी माताओं के जने तो अब इस बचाव अभियान को भी चुनावी स्टंट तक बोल रहे हैं कुढ़ कर....
खैर हुइहे वही जो राम रचि राखा....
न उन मज़दूरों का हुआ न मोदी जी का कर पाओगे तुम बाल भी बांका.....
और हाँ सुनो .... समुद्र भी लाँघेगे...
तुम्हारी लंका भी लगाएंगे...
तुम्हारे में बूता हो तो रोक लो... 2024 में फिर आएंगे!!
Comments
Post a Comment