*"स्तंभ-170"*

*पुराना खेल है...*

जिस संस्था को बरबाद करना है वहां लोगों के एक्सपेक्टेशंस को वहां लेकर जाओ जहां उसके डूबने के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो ।

उद्योगों को बरबाद करना था तो मजदूरों को बताया गया कि तुमको और बेहतर सैलरी मिलनी चाहिए... लाभ जो है वह तुम्हारा हक मार कर कमाया जाता है. लाभ में हिस्सा मांगो... बल्कि फैक्ट्रियों के मालिक खुद बनो ।

परिवार को तोड़ना है तो स्त्रियों को नारीवाद की घुट्टी पिलाई जाती है कि परिवार नाम की संस्था में तुम्हारी दासता है... तुम्हें मुक्ति चाहिए...परिवार तोड़ो और उन्मुक्त हो जाओ ।

अभी हिंदुत्व के साथ वही किया जा रहा है. वर्षों तक हिंदुत्व को निशाने पर रखकर, हिंदुत्व को टॉक्सिक और वायलेंट बता कर बात नहीं बनी तो अब खेल बदल कर खेला जा रहा है ।

नया खेल है... संघ हिंदुत्व का शत्रु है, भाजपा हिंदुत्व की शत्रु है, मोदी हिंदुत्व का शत्रु है... हिंदुत्व के अकेले पुरोधा सिर्फ हम हैं. हिंदुत्व के सारे नायक... दयानन्द, विवेकानंद और शिवाजी तक... सभी हिंदुत्व के शत्रु घोषित किए जा रहे हैं. हिंदुत्व को बचाने के लिए हिंदुत्व के नए योद्धाओं ने अपनी लकड़ी की तलवारें और टर्र टर्र करने वाली बंदूकें निकाल ली हैं. और ये हिंदुत्व की रक्षा कर ही मानेंगे. जैसे एक समय में ट्रेड यूनियन वालों ने फैक्ट्रियों में ताले लटकवा के श्रमिकों के हितों की रक्षा की थी. जैसे नालीवादी दुनालियों ने अपनी टॉयलेट वाली फोटुओं और ऑर्गेज्म वाली कविताओं से स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा की है. हिंदुत्व को अपने नए लियो-ट्वॉयज नायक मिल गए हैं ।

और खेल नया है... जाति के नाम पर खेला जाएगा तो पकड़ में आ जायेगा और रिवर्स पोलराइजेशन करेगा... इसलिए हिंदुत्व के नाम पर खेला जा रहा है. नया खेल है कि हिंदुत्व को लेकर इतना शोर मचाओ कि वृहद समाज हिंदुत्व के नाम से नाक भौं सिकोड़ लें. अपनी सारी जातिवादी कुंठाएं हिंदुत्व के नाम पर निकाली जा रही हैं. और यह खेल किसी विकल्प का नहीं है...यह नया खेल सिर्फ ब्लैकमेल का है...हमें पहले बैटिंग दो नहीं तो पिच खोद डालेंगे ।
जय जय भारत --- 🙏

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