"स्तंभ - 152"
बात कड़वी हो सकती है, अमानवीय भी लग सकती है लेकिन मुझे लगता है कि "यदि लव-जिहाद के नाम पर साल में हजार-दो हजार हिन्दू लड़कियों की बलि चढ़ जाती है अथवा कुछ हिंदुओ का कत्ल कर दिया जाता है या उन्हें विस्थापित कर दिया जाता है तो यह कोई बड़ी बात नही है।"
आखिर तथाकथित सेक्युलरिज्म और तथाकथित गंगा- जमुनी तहजीब को बचाने के लिए इतनी बलि तो दी ही जा सकती है।
क्योंकि वो आसमानी लोग तो सुधरने से रहे, क्योंकि बेसिक समस्या उनके विचारों में है ....
प्लेटो का कहना था कि "इस दुनिया में कोई पूर्ण व्यक्ति नही होता है, बल्कि पूर्णता एक आदर्श या कल्पना है जिसे पाने की व्यक्ति और समाज कोशिश करता है।"
जबकि उनके मामले में यह एकदम अलग है। उनका मानना है कि "उनके दूतजी ब्रह्मंड के पहले व अंतिम सबसे पूर्ण व्यक्ति थे और उन्होंने जो किया सही किया।"
और दूतजी को मानने वाले हर ईमान वाले का यह दायित्व है कि वह दूतजी के किए हुए कार्यों को करने की कोशिश करे।"
यही सबसे बड़ी समस्या है और दूतजी ने क्या किया है यह बताने की भी जरूरत नहीं है।
नूपुर शर्मा का प्रकरण या भारत के स्थान पर यह देखिए कि ये लोग अन्य जगह क्या करते हैं ....
9/11 के बाद अमेरिका में रहने वाली एक महिला बताती है कि "उसके बेटे ने अपने मित्रों के बहकावे में आकर आसमानी विचारों को अपना लिया और इसके बाद वह दुनिया में ईमान को फैलाने के लिए अफगानिस्तान चला गया और तालिबान में शामिल हो गया, उसने ईमान वाली तालिबानी महिला से विवाह भी कर लिया, जिसे उसने कभी देखा भी नहीं था। ....
वह अपनी मां से कहता था कि "एक बार अमेरिका शांतिप्रिय लोगों के कब्जे में आ जाए तो वह ईमान को न मानने वालों का सर कलम करके सबसे पाक काम करेगा। और उसे अपनी मां का सर कलम करने में सबसे ज्यादा खुशी होगी।"
सऊदी अरब के एक शेख के बेटे ने, जो अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहता था उसने एक दिन अपने एक घनिष्ठ यहूदी मित्र को पार्टी के लिए बुलाया लेकिन किसी बात के चलते उसने अपने मित्र के सर को काटकर उसके धड़ से अलग कर दिया।
बाद में पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि "उनके बीच कोई हाथा पाई नही हुई थी, न ही कोई पुराना विवाद था बल्कि वे अच्छे मित्र थे। पुलिस के अनुसार शायद किसी विषय पर विवाद हुआ था।"
बेल्जियम की एक पीएचडी लड़की जो अत्यंत शर्मीली व सौम्य थी उसके पड़ोसी भी उसकी सज्जनता की तारीफ करते थे। अचानक उसका किसी शांतिप्रिय व्यक्ति से लव हुआ । विवाह के बाद वह isis में शामिल हो गई और एक बम धमाके में पांच लोगों को मार कर स्वयं भी जन्नत चली गई।
आसमानी लोगों के पागलपन को पढ़ना हो तो यजीदी लड़की नदिया मुराद की आत्मकथा पढ़िए किस तरह ईमान वाली महिलाएं भी बलात्कार जैसे अपराधों को करवाने में शामिल हुई। क्योंकि यह जन्नत का रास्ता है।
लेबनान के साथ इन लोगों ने क्या किया, जब इनकी तादात बढ़ी। वहाँ के उन ईसाइयों को सुनिए जो किसी तरह से भागकर अन्य देशों में गए हैं।
इतिहास छोड़ दीजिए, क्योंकि भारत में इस्लामी शासन को इतिहासकार विल डूरांड ने "इतिहास का सबसे बर्बर, नृशंस व अमानवीय कृत्य बताया है, क्योंकि उस समय लगभग आठ करोड़ हिन्दुओं का सफाया हुआ। "
ऐसे हजारों उदहारण आज के समय में है, केवल भारत ही नहीं अन्य स्थानों में है, बल्कि अमेरिका में ईमान को फैलाने के लिए पूरा ब्लू प्रिंट है, जिसको जरूरत हो दे सकता हूँ।
ये पागल या भटके हुए नही है बल्कि पूरी तरह से समझदार हैं और वही कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए, जिस पर वे विश्वास रखते हैं।
अतः यदि भारत में गंगा जमुनी तहजीब को सलामत रहना है तो दो ही तरीके हो सकते हैं पहला कि "यदि कुछ हजार हिन्दू लड़कियों की बलि चढ़ती हैं तो उसे स्वीकार किया जाए दूसरा उनके इस अमानवीय विचारधारा के खिलाफ मुहिम चलाई जाए।'
और मैं अभी के हालात को देखते हुए यही कह सकता हूँ कि हमें समझौता करना चाहिए क्योंकि हमारा अंदर उनके प्रतिरोध को करने या सत्य कहने की शक्ति नही है।
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