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आज प्रातः 8 बजे तक देश में कोरोना की वैक्सीन की 67.09 करोड़ खुराक लोगों को दी जा चुकी है।
अब बात मुद्दे की...
याद करिए अप्रैल के दूसरे सप्ताह में कोरोना का तांडव विकराल होने लगा था। न्यूजचैनलों के रिपोर्टर केवल और केवल श्मशान घाटों में जल रही चिताओं और अस्पतालों के मुर्दाघरों से निकल रही, एम्बुलेंसों में लादी जा रही लाशों के ही इर्दगिर्द रात दिन मंडराने लगे थे। भांति भांति के नामी गिरामी एडिटर रोज रात को 9 बजे अपने अपने न्यूजचैनली अड्डों पर सूटबूट टाई डाट के यही प्रवचन दे रहे थे कि देश में वैक्सीन की भारी कमी है। कोई कह रहा था सबको वैक्सीन लगने में 2 साल लगेंगे। कोई इसके लिए 3 साल का समय बता रहा था। जब वो यह सब बताते थे तो उनके पीछे की स्क्रीन पर दहकती चिताओं और मुर्दा ढोते अस्पताल कर्मियों के डरावने दृश्य लगातार चलते रहते थे। उनकी उस करतूत से देशव्यापी भय की भयानक लहर का संचार देश के हर कोने में विद्युत गति से लगातार हो रहा था। स्पष्ट कर दूं कि इस जानलेवा कुकर्म को हिंदी के न्यूजचैनलों द्वारा सर्वाधिक किया जा रहा था। 
मैं जानबूझकर इसे कुकर्म की संज्ञा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि ऐसा करते समय यह देश के आम आदमी से सरासर सफेद झूठ बोलकर उसे डरा रहे थे। इस बात का साक्ष्य इसी पोस्ट में आगे दूंगा। उनके इस कुकर्म का दुष्परिणाम यह हुआ था कि 11 अप्रैल तक देश में कोरोना के कारण हुईं 1.70 लाख मृत्यु का आंकड़ा 21 जून तक 3.88 लाख हो गया था। यानी 71 दिनों में 2.18 लाख लोग मौत के घाट उतर गए थे। 
उल्लेख कर दूं कि यह सर्वज्ञात तथ्य है कि कोरोना संक्रमण से व्यक्ति की मृत्यु का एकमात्र कारण उस व्यक्ति में इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक शक्ति) का बहुत कम हो जाना ही होता है। ध्यान रहे कि जब व्यक्ति बहुत डरा हुआ होता है तो उसकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक शक्ति) बहुत कम हो जाती है। इस तथ्य की पुष्टि आप किसी भी चिकित्सा विज्ञानी या मनोचिकित्सक से बात कर के कर सकते हैं। अतः उन 
71 दिनों के दौरान हुईं 2.18 लाख लोगों की मृत्यु के बड़े जिम्मेदारों में से एक जिम्मेदार वह न्यूजचैनल भी थे जो उन 
71 दिनों के दौरान जलती चिताओं वाली बैकग्राउंड के आगे खड़े होकर देश में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर लगातार सफेद झूठ बोला था।
अब बताता हूं कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं। जब यह सभी न्यूजचैनल और उनके भांति भांति के एडीटर यह कह रहे थे कि सबको कोरोना की वैक्सीन लगने में 2-3 साल लग जाएंगे उस समय भी यह स्पष्ट हो चुका था कि वैक्सीन की कमी केवल 2 ढाई महीने की समस्या है।
सूचनाओं के स्त्रोत के संदर्भ में इन भारी भरकम न्यूजचैनलों की तुलना में मेरे जैसा दीवालिया कंगाल भी इतनी ठोस सूचना/जानकारी से लैस था कि 11 अप्रैल को मैंने अपनी पोस्ट में लिखा था कि...
हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम...
केवल दो ढाई महीने का धैर्य और रखिये, संयम बरतिए और निश्चिंत रहिये क्योंकि चौकीदार रात दिन जाग रहा है जूझ रहा है। विपक्षी धूर्तों और न्यूजचैनली विदूषकों द्वारा फैलाए जा रहे भय और भ्रम से सावधान रहिये। अगले 60 दिन मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का कड़ाई से पालन करिये और करवाइए। कोरोना से जंग के केवल अंतिम दो ढाई माह और शेष रह गए हैं। अतः अब कोई भी भूल या चूक, किनारे पर किश्ती के डूबने की कहावत को चरितार्थ करेगी। क्योंकि जुलाई तक भारत में बहुत भारी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होने लगेगी। इसे इन तथ्यों से समझिये।
देश की जायड्स कैडिला कम्पनी की वैक्सीन मई के तृतीय या अंतिम सप्ताह में बाजार में उपलब्ध होने की प्रबल संभावनाएं हैं। इसकीं उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 10 करोड़ वैक्सीन की है।
भारतीय कम्पनी बायोलॉजिकल ई अमेरिका की जॉन्सन एंड जॉनसन के लिए इस वर्ष के अंत तक 66 करोड़ खुराकें तैयार करने जा रही है। सम्भवतः अगले दो माह में यह वैक्सीन भी बाजार में आ चुकी होगी। इसमें से भारत को लगभग 28 करोड़ खुराकें मिलेंगी। लेकिन ये सिंगिल डोज वैक्सीन है इसलिए इसकीं 28 करोड़ खुराकें वर्तमान में प्रचलित वैक्सीन की 56 करोड़ खुराकों के बराबर होंगी। 
रूस की स्पूतनिक V वैक्सीन को इसी अप्रैल महीने के तीसरे या अंतिम सप्ताह तक मंजूरी मिल जाएगी। 
स्पूतनिक वैक्सीन की 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करने के लिए एक समझौता हैदराबाद स्थित विरचो बायोटेक ने किया है. इसमें से भारत को वैक्सीन की 8.5 करोड़ (42.5%) खुराकें मिलेगी। 
उपरोक्त के अलावा स्पूतनिक वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें हेट्रो बायोफार्मा ने, 25 करोड़ खुराकें ग्लैंड फार्मा ने, 20 करोड़ खुराकें स्टेलिस फार्मा ने तथा 10 करोड़ खुराकें डॉक्टर रेड्डी लैब ने तैयार करने का अनुबंध किया है। इन 65 करोड़ खुराकों में से भी लगभग 27.5-करोड़ खुराकें भारत को मिलेंगी। अतः इस वर्ष केवल स्पूतनिक की ही 36 करोड़ खुराकें भारत में उपलब्ध होंगी।
अमेरिकी कम्पनी नोवावैक्स के लिए पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रतिवर्ष 2 अरब वैक्सीन बनाने का अनुबंध कर चुकी है। इसमें से 80-90 करोड़ भारत को मिलेंगी। जुलाई अगस्त तक यह भी उपलब्ध हो जाएगी। इन सबके अलावा भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट युद्धस्तर पर वैक्सीन का उत्पादन कर ही रहे हैं।
इसके अतिरिक्त क्वाड देशों (QUAD) के राष्ट्राध्यक्षों की 12 मार्च को हुई बैठक में 'कोरोना वैक्सीन इनिशिएटिव' (Corona Vaccine Initiative) के तहत  2022 के अंत तक वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाने की जिम्मेदारी भी भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई को सौंपी गयी है। इसका एक बड़े हिस्से का उत्पादन इसी वर्ष होगा। वैक्सीन उत्पादन में इस कंपनी को यूनाइटेड स्टेट्स इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (USIDFC) द्वारा भारी आर्थिक सहायता दी जाएगी।
अतः उपरोक्त तथ्य चीख चीखकर संदेश दे रहे हैं कि दो ढाई महीने और प्रतीक्षा कर लीजिए क्योंकि देश का चौकीदार रात दिन जाग रहा है जूझ रहा है।

मित्रों मैंने गलत नहीं शत प्रतिशत सत्य लिखा था। 11 अप्रैल से  21 जून के मध्य 71 दिनों में देश में 17.82 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी थी। जबकि 22 जून से आज 2 सितंबर के मध्य 73 दिनों में 39 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है। सच तो यह है कि जुलाई में 13.5 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगी थी जबकि अगस्त में 20.06 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। 27 अगस्त को एक करोड़ से अधिक और 31 अगस्त को 1.35 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाए जाने की उपलब्धि यह बता रही है कि...
"देश का चौकीदार हमेशा जाग रहा था, हमेशा जाग रहा है और हमेशा जागता ही रहेगा। मुझे यह विश्वास हमेशा था, आज भी है और हमेशा रहेगा । 

जय जय भारत ---- 🙏🚩

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