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मैं समझ नहीं पा रहा हूँ
क्या बाइडेन ने सुबह उठ कर बिना मुँह धोए ही मुँह उठा कर अफगान में पड़ी अपनी सेना को बोल दिया कि वापस आ जाओ।
कोई प्लानिंग नहीं... कोई सिक्योरिटी मेजर्स नहीं
अमरीका ने 20 साल अफगान की पहाड़ियों में झक मारी है क्या ?
उनको इतना भी अंदाजा नहीं था कि उनके जाने के बाद यहाँ क्या होने वाला है ?
नाटो देशों के सैनिक तो छोड़िए, अपने मित्र देश ब्रिटेन को भी क्या कोई पूर्व सूचना नहीं दी ताकि वो देश अपने लोगों को समय रहते वहाँ से निकाल सके।
दूसरों की तो छोड़िए बाइडेन के पास अपने लोगों को निकालने की भी कोई प्लांनिग नहीं थी।
तालिबान का पूरा कब्जा हो गया अफगान पर और अब भी समूची दुनियाँ के साथ साथ खुद अमेरिकी सिविलियन भी काबुल में फँसे पड़े हैं और तालिबानियों से अपनी जान की भीख माँग रहे हैं।
ये कैसा राष्ट्रपति है ?
ये कैसी प्लानिंग है जो खुद वहाँ से अपनी सेना निकालने के 20 दिन बाद दुबारा अपने 500 सैनिक भेज रहा है अपने नागरिकों को लाने के लिए।
और, उसके लिए उसने आज सुबह काबुल एअरपोर्ट को अपने कब्जे में लिया है,
पूरे एअरपोर्ट की बिल्डिंग विदेशी लोगो से भर चुकी है
इसके अलावा लोकल अफगान अपने बिस्तर बाँध कर रनवे पर खड़े प्लेनों में घुस चुके हैं बिना किसी पासपोर्ट और वीजा के।
पूरे एअरपोर्ट की खाली जमीन रनवे सहित लोकल अफगानियों से भर चुकी है।
और एअरपोर्ट के बाहर से तालिबानी गोलियाँ चला रहे हैं।
बाइडेन ने खुद को दुनिया के सामने दो टके का राष्ट्रपति साबित कर दिया है।
इससे अच्छी प्लानिंग तो मोदी सरकार ने करी जो समय रहते अपने नागरिकों को वहाँ से निकालने में कामयाब हुवे।
काबुल से आखिरी फ्लाइट जो उड़ी वो भारतीय थी, कल रात में एअर इंडिया का विमान 129 भारतीयों और अन्यों को लेकर दिल्ली आया।
उसके बाद एअरपोर्ट अभी तक बन्द है।
हालाँकि अभी भी कुछ भारतीय काबुल एअरपोर्ट पर फँसे हैं मगर एयरइंडिया का विमान अब भी काबुल में खड़ा है और बचे हुवे लोग भी जल्दी ही आएंगे।।
एक बात कहूँ
अफगानिस्तान के खेल में चीन और रूस ने मिलकर अमरीका को बहुत बुरी तरह पछाड़ा है और ये सम्भव हुआ बाइडेन जैसे कि वजह से।।
भारत में अगर ........... सता में आता है तो इससे भी बुरी गति भारत की भी होनी तय है ।।
जय जय भारत --- 🙏
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