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नोटबन्दी सफल रही, इसका एक और प्रमाण दे रहा हूँ .....

300-400 करोड़ बजट की लगभग 10 फिल्में प्रतिवर्ष बाजार में उतारने वाली मुम्बई फ़िल्म इंड्रस्ट्री आज एक पोर्न इंड्रस्ट्री में तब्दील हो गई है, जहाँ 9 करोड़ में 21 क्लिप्स के सौदे होने लग गए हैं। यहाँ देश की बद्जात जमात का काला धन सफेद होता था और दाऊद के नकली नोट खपा के असली बनाये जाते थे। हर फिल्म में कोई न कोई पाकिस्तानी दाऊद का पिल्ला रोल कर रहा होता था या गाने गा रहा होता था और पाकिस्तान वापस लौटकर मुँह से हगने लगता था। 
अभिजीत और शान जैसे सैकड़ों भारतीय कलाकार मार्किट से एकदम गायब हो गए थे। इसीलिए किसी की पुरानी बीबी को देश में डर लगने लगा था। एक और.. जो एक पाकिस्तानी अपराधी का दुबई में पार्टनर बना हुआ था (जिस वजह से पाकिस्तान में आई बाढ़ आदि पर विदेश में नाचकर पाकिस्तान के लिए फंड इकट्ठा करता था) वो भी बोल रहा था कि मोदी जीते तो देश छोड़ दूँगा... 
एक अर्थशास्त्री (सेन) ने पूरी अर्थव्यवस्था डुबाने का जाल बिछाया और देश छोड़ने की धमकी दे रहा था। ऐसे सारे अर्थशास्त्री भी अवार्ड वापसी तक ही "ता ता थैय्या" कर पाए ...

नोटबन्दी से सारा रुपया डिजिटलाइज हो गया, यहां तक कि राजनीतिक पार्टियों को भी अपना एकाउंट खोलना पड़ा। अब इतनी बड़ी मात्रा में कालाधन बनाने के लिए सिर्फ बिल्डर्स की फील्ड ही बची है, तो उसमें भी सारा ट्रांजेक्शन ऑनलाइन और सर्किल रेट का लफड़ा डालकर काफी हद तक लगाम लगा दी गई है। अभी ये टीवी पे जो तेल, मसाले और चड्ढी-बनियान बेचते नजर आते हैं, 24 में फिर से मोदी जी के आने के बाद तो ये लोग ठेला लगाकर के यही सब बेंचेंगे... ।

जय जय भारत ---- 🙏

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