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चुनाव के वक्त राहुल गांधी जी मंदिर-मंदिर घूम रहे थे, कांग्रेसिये इनको ब्राह्मण घोषित कर चुके थे। खुद भी जगह-जगह घूम कर खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण सिद्ध कर रहे थे, तब तुमने एक बार भी सवाल नहीं पूछा ?
हाल ही में मुस्लिम तुष्टिकरण की हद पार करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल चुनाव के वक्त अपने को बार-बार ब्राह्मण बता रही थी, तब किसी ने विरोध नहीं किया, ना ही तब किसी ने उनका मजाक ही बनाया।
आज जब क्रिकेट खिलाड़ी सुरेश रैना ने अपने को ब्राह्मण बताया तो तुम्हारे तन बदन में आग लग गई। पता है तुम सुरेश रैना का इतना विरोध क्यो कर रहे हो ?
क्योकि रैना की जड़ कश्मीर में है, वे कश्मीरी पंडित हैं।
बुजदिलों, तुम डर रहे हो कि फिर से कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार की कहानियां ना खुलने लगें! तुम्हारा दोगलापन दिखाई न देने लगे! तुम्हे सुरेश रैना के ब्राह्मण होने से डर नहीं है, तुम दहशतजदा हो, उसके कश्मीरी पंडित होने से! कश्मीर के दुखद, डरावने और भयानक अतीत से, जब तुमने इस्लामिक आतंकवाद का समर्थन कर हिंदुओं पर जुल्म की इंतहां कर दी थी।
ब्राह्मणों का मजाक उड़ा कर ये हिंदुत्व को कमजोर करना चाहते हैं,क्योंकि ब्राह्मण हिदुत्व का सबसे मजबूत आधार स्तम्भ है। ऐसा कर ये हिदुओं में फूट डालना चाहते हैं। सदियों से इसने हिदुत्व को मार्गदर्शन दिया है। हिदुत्व के खतरे में आने पर ब्राह्मणों ने हमेशा नेतृत्व किया है, सनातन की रक्षा के लिए हथियार उठाये हैं।
गंगा में तैरती लाशों की झूठी न्यूज पर तुम खूब चटखारे ले रहे थे, गंगा घाट पर जलती चिताएं तुम्हारे अहम को सुकून की ठंडक दे रही थी। तब तुम हिदुत्व का मजाक बना रहे थे। तब तुम मोदी-योगी को झूठे मूठ में बदनाम कर रहे थे। उनके लिए अपनी नफरत में और घी डाल रहे थे। जलती हुई चिताओं पर तुम मजे ले रहे थे। गंगा में बहती लाशें तुम्हारा ईगो संतुष्ट कर रही थीं।
तुम्हारा दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में जैसे ही मरा तो उसकी मौत को जस्टीफाई करने वाले तुमको गिद्ध नजर आने लगे, तब तुम कहने लगे कि किसी की मौत पर खुशी नहीं मनाई जाती। उसकी लाश की तस्वीरों को न दिखाने की तुम अपील करने लगे, तो क्या गंगा में जो बह रही थीं, वो लाशें नहीं थीं ? गंगा किनारे जलती हुई, वे लाशें नहीं थीं जिसके लिए तुम गिद्ध बने थे, सिर्फ मोदी-योगी विरोध में तुम उन लाशों के मजे ले रहे थे, हिदुत्व को बदनाम कर रहे थे ?
क्या लाश सिर्फ दानिश सिद्दीक की ही थी, जिसने कोरोना के बहाने भारत और हिदुत्व को बदनाम करने का कुचक्र रचा था ?
रिपब्लिक भारत, अर्नब गोस्वामी और उसके कर्मचारियों पर झूठे इल्जाम लगा कर जब जेल में ठूसा गया था, उनको दसियों बार पूछताछ के नाम पर परेशान किया जा रहा था, उनको घर से गिरफ्तार किया जा रहा था तब लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ खतरे में नही था न ? तब तुम्हारे "लोकटंत्र की हटिया" नहीं हो रही थी ? तब तो उद्धव ठाकरे को सबसे बेहतरीन मुख्यमंत्री घोषित कर रहे थे। तब तुम्हारी आत्मा मर गई थी ?
जैसे ही दैनिक भास्कर पर इन्कम टैक्स की रेड पड़ी, अचानक से तुम्हारी सोई हुई आत्मा जाग गई। तुमको लोकतंत्र खतरे में दिखाई देने लगा, जमहूरियत का कत्ल होने लगा। मक्कारों रिपब्लिक भारत और अर्नब गोस्वामी के वक्त तुम्हारी आत्मा तुमको धिक्कारती नहीं थी ? तब तुम को मजा आ रहा था। तुमको मजा तो तब भी आ रहा था जब रोहित सरदाना की मौत पर तुम और तुम्हारे साथी चटखारे ले रहे थे। तुम जैसे लोग संजय राउत वाले "नॉटी" हो यानी कि हरामखोर! तुम कुत्तों से भी गये गुजरे हो, वो जिनकी खाते हैं, कम से कम उसके आगे अपनी दुम तो हिलाते हैं। तुम तो भारत का ही खा कर,भारत पर ही भौंकते हो!
जय जय भारत -----🙏
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